Bulldozer Action

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच बुलडोजर कार्रवाई के मामले की सुनवाई कर रही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस मामले में अदालत में याचिका दायर की थी।

बुलडोजर कार्रवाई: देशभर में आरोपियों के खिलाफ हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि कैसे सिर्फ इसलिए किसी का घर तोड़ा जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, तब भी घर नहीं तोड़ा जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ‘बुलडोजर कार्रवाई’ के मामले की सुनवाई कर रही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अदालत में याचिका दायर कर इस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में हुए बुलडोजर ऑपरेशन का जिक्र किया गया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल आरोपी होने के आधार पर किसी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती।

तुषार मेहता ने याचिकाओं का विरोध किया
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले को अदालत के सामने गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। कार्रवाई नियमों का पालन करते हुए की गई है। यह केवल नगर निगम के कानून के अनुसार ही किया जा सकता है। इस पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के कारण घर कैसे तोड़ा जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से सुझाव मांगे
तुषार मेहता ने कहा कि बहुत पहले नोटिस जारी किए गए थे, ये लोग उपस्थित नहीं हुए। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि कोई भी व्यक्ति खामियों का फायदा नहीं उठाए। जस्टिस गवई ने कहा कि यदि निर्माण अवैध है, तो ऐसे मामलों में भी यह ‘कानून के अनुसार’ होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दिशानिर्देश बनाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम इस मामले में दिशानिर्देश जारी करेंगे, जो पूरे देश में लागू होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

By Pragati

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