जस्टिस यशवंत वर्मा को वर्ष 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से दिल्ली हाई कोर्ट ट्रांसफर किया गया था। अब उन्हें फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का निर्णय लिया गया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का टिप्पणी: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी की बरामदगी का मामला जोर पकड़ रहा है। जहां कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने का फैसला लिया है। वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर का विरोध किया है। बार एसोसिएशन ने कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई कचरे का डब्बा नहीं है, जहां किसी भी विवादित जज को ट्रांसफर किया जा सकता है।
जस्टिस यशवंत वर्मा को 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से दिल्ली हाई कोर्ट भेजा गया था। अब जब उनके घर से करोड़ों की नकदी की बरामदगी का मामला सामने आया और यह मामला जोर पकड़ने लगा, तो कॉलेजियम ने बैठक बुलाकर यह फैसला लिया कि जस्टिस यशवंत वर्मा को फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा जाएगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कॉलेजियम के फैसले का विरोध किया इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम के इस फैसले का विरोध किया और इस पर कड़ी टिप्पणी की। बार एसोसिएशन ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई कचरे का डब्बा नहीं है। भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह मामला और भी गंभीर हो जाता है जब हम वर्तमान स्थिति को देखें। इलाहाबाद हाई कोर्ट पहले से ही जजों की कमी का सामना कर रहा है। सालों से नई नियुक्तियां नहीं की गई हैं। यह भी गंभीर चिंता का विषय है कि जजों की नियुक्ति के मामले में बार से कोई परामर्श नहीं लिया जाता है।

चिट्ठी में बार एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि यह फैसला न्यायपालिका में जनता का विश्वास हिला सकता है। इसमें कहा गया कि जज के घर से पैसा मिलना पूरी तरह गलत है। ऐसी स्थिति में, अगर आरोपी को हाई कोर्ट में न्याय देने के लिए बैठाया जाएगा, तो जनता का न्याय पर विश्वास टूट जाएगा। यह मामला न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर संकट खड़ा कर सकता है। इस दौरान एसोसिएशन ने अपनी चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का भी उल्लेख किया।
पूरा मामला जो उठा विवाद यह घटना होली के दिन (14 मार्च) हुई। रात 11:30 बजे दिल्ली के तुगलक रोड पर जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लग गई। उस समय जज शहर में नहीं थे, वे होली के त्योहार के दौरान कहीं बाहर गए हुए थे। इसके बाद फायर ब्रिगेड और पुलिस को आग बुझाने के लिए बुलाया गया। जब बचावकर्मियों ने एक कमरे में जाकर आग बुझाई, तो वे हैरान रह गए। कमरे से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का प्रस्ताव पारित दिल्ली पुलिस ने इस मामले की सूचना गृह मंत्रालय को दी और इस संबंध में एक रिपोर्ट भी भेजी। गृह मंत्रालय ने यह रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को भेजी। मामले की गंभीरता को देखते हुए CJI ने 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक बुलाई। इसमें जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया। जान लें कि जस्टिस यशवंत वर्मा को 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से दिल्ली हाई कोर्ट भेजा गया था।
कॉलेजियम के कुछ सदस्य मानते हैं कि ऐसे गंभीर मामलों में केवल ट्रांसफर करना पर्याप्त नहीं है। इससे न्यायपालिका की छवि खराब होती है और लोगों का विश्वास भी घटता है। इस दौरान यह सुझाव दिया गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा से इस्तीफा लिया जाए। अगर वे इस्तीफा देने से इनकार करते हैं, तो उनके खिलाफ CJI द्वारा एक इन-हाउस जांच शुरू की जानी चाहिए।