देशभर में बम की धमकियों की सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब सोमवार रात करीब 30 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स को बम की धमकी मिली है। इसके साथ ही CRPF स्कूलों को भी बम की धमकी मिली है, ऐसी जानकारी मिली है। सूत्रों के अनुसार, जिन फ्लाइट्स को बम की धमकी मिली उनमें इंडिगो, विस्तारा और एयर इंडिया की फ्लाइट्स शामिल हैं।
इंडिगो फ्लाइट्स को मिली धमकी:
इंडिगो के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि सोमवार को एयरलाइन की चार फ्लाइट्स को सुरक्षा संबंधी अलर्ट मिले थे। इन फ्लाइट्स में 6E 164 (मंगलुरु से मुंबई), 6E 75 (अहमदाबाद से जेद्दा), 6E 67 (हैदराबाद से जेद्दा) और 6E 118 (लखनऊ से पुणे) शामिल थीं। एयरलाइन की तरफ से जारी किए गए चार अलग-अलग बयान में कहा गया कि सभी यात्रियों को सुरक्षित रूप से फ्लाइट्स से बाहर निकाल लिया गया था। प्रवक्ता ने कहा, “हमने संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया और मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन किया।”
एयर इंडिया की फ्लाइट्स को भी मिली धमकी:
एयर इंडिया के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि सोमवार को एयरलाइन की कुछ फ्लाइट्स को सोशल मीडिया के माध्यम से सुरक्षा धमकियां मिली थीं। प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार, संबंधित अधिकारियों को तुरंत सूचित किया गया और सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन किया गया।”
विस्तारा की फ्लाइट्स पर भी धमकी:
विस्तारा के प्रवक्ता ने भी कहा कि उनकी कुछ फ्लाइट्स को सोमवार को सुरक्षा धमकियां मिली थीं। प्रवक्ता ने बयान में कहा, “हमने तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित किया और उनकी निर्देशों के अनुसार सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन किया।”
पिछले एक सप्ताह में 120 से अधिक फ्लाइट्स को धमकी मिली:
पिछले एक हफ्ते में भारतीय एयरलाइनों की 120 से अधिक फ्लाइट्स को बम की धमकी मिली है। नागरिक उड्डयन मंत्री K. राम मोहन नायडू ने सोमवार को कहा था कि भले ही ये धमकियां अफवाह हो, लेकिन इन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। इस बीच, सरकार एयरलाइनों को बम धमकियों से निपटने के लिए कानून बनाने की योजना बना रही है, जिसमें धमकी देने वालों के नाम ‘नो-फ्लाई’ लिस्ट में डाले जा सकते हैं।
नियमों में बदलाव की योजना:
सरकार विमानन सुरक्षा नियमों में संशोधन की योजना बना रही है और ‘सिविल एविएशन सिक्योरिटी एक्ट, 1982’ में बदलाव कर सकती है, जिसके तहत विमान के जमीन पर होने पर अपराधों की जांच शुरू की जा सकती है और आरोपियों को कोर्ट के आदेश के बिना गिरफ्तार किया जा सकता है।