क्या पेपर कप प्लास्टिक से सुरक्षित होते हैं?
प्लास्टिक कपों को पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने की वजह से पूरी तरह से बैन कर दिया गया है। लेकिन क्या पेपर कप, जिन्हें पर्यावरण के लिए सुरक्षित माना जाता है, क्या वे भी रसायनों से मुक्त होते हैं? IIT की एक स्टडी से चौंकाने वाला जवाब सामने आया है।

पेपर कप में चाय पीने के नुकसान
घर के बाहर चाय पीना स्वास्थ्य के साथ समझौता करने जैसा होता है, यह लगभग हर कोई जानता है। हालांकि, प्लास्टिक कप की जगह पेपर कप में चाय मिलने से कुछ राहत मिली थी। क्योंकि पेपर में ऐसे रसायन नहीं होते, जो शरीर को गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकें, जैसे प्लास्टिक कप और बर्तन में होते हैं।

लेकिन हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर द्वारा किए गए एक अध्ययन ने यह खुलासा किया है कि डिस्पोजेबल पेपर कप में चाय पीना उतना ही हानिकारक है, जितना कि प्लास्टिक कप में। स्टडी के अनुसार, ये कप जो अक्सर एक बार उपयोग करने के बाद फेंक दिए जाते हैं, उनमें प्लास्टिक होता है, जो गर्मी के संपर्क में आने पर रसायन छोड़ता है।

अध्यान का उद्देश्य


इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह समझना था कि क्या डिस्पोजेबल पेपर कप में मौजूद प्लास्टिक चाय या अन्य गर्म तरल के संपर्क में आने पर रिसता है। शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के पेपर कपों का विश्लेषण किया और उनके अंदर मौजूद प्लास्टिक सामग्री की मात्रा मापी।

प्लास्टिक रिसना शुरू होता है
शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिकांश डिस्पोजेबल पेपर कपों में एक प्रकार की प्लास्टिक कोटिंग होती है, जो कप को पानी से बचाती है। इस स्थिति में, जब ये कप गर्म पेय पदार्थों के संपर्क में आते हैं, तो यह प्लास्टिक धीरे-धीरे रिसने लगता है। इसके परिणामस्वरूप, चाय या अन्य गर्म पेय पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ जाती है।

15 मिनट में जहर बन जाती है गर्म चाय
आईआईटी की सहायक प्रोफेसर और अध्ययन प्रमुख सुधा गोयल ने कहा कि पेपर कप पर मौजूद माइक्रोप्लास्टिक की परत 15 मिनट में खराब हो जाती है, जब आप गर्म चाय या कॉफी पीते हैं। इसके बाद 25,000 माइक्रोन आकार के कण गर्म पेय पदार्थों में जारी हो जाते हैं।

माइक्रोप्लास्टिक क्यों होते हैं शरीर के लिए जहर?
अध्यान के अनुसार, इन माइक्रोप्लास्टिक्स का सेवन कई जीवन-धातक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इनमें हार्मोनल असंतुलन, इम्यून सिस्टम में कमी और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा शामिल है।

By Pragati

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