सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल छह महीने का होगा। वह अगले साल 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
नई दिल्ली: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली। डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे। नए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल 6 महीने का होगा। वह 13 मई 2025 तक इस पद पर रहेंगे। आपको बता दें कि 12 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को एक पत्र भेजा था, जिसमें उनसे अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को अपने जवाब में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का नाम सुझाया। इसके बाद, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, न्यायमूर्ति खन्ना का नाम अंतिम रूप से तय किया गया। आइए जानते हैं कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना कौन हैं, जो आज मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ले रहे हैं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना कौन हैं?
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल से वकील के रूप में पंजीकरण कराया। यहीं से उनकी कानूनी यात्रा शुरू हुई। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना तिज हजारी कोर्ट में वकालत करते थे। फिर उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में प्रोन्नति मिली।
दिल्ली हाई कोर्ट में 14 साल तक जज रहे
न्यायमूर्ति खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट में 14 साल तक जज रहे। वे 2005 में अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 2006 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को 18 जनवरी 2019 को भारत के सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। उन्होंने 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष का पदभार संभाला। वर्तमान में, वह नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और भोपाल स्थित नेशनल जुडिशियल एकेडमी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं।
कौन से प्रमुख फैसलों में शामिल थे वे?
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने बिलकिस बानो मामले में फैसला दिया था। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को जमानत भी दी थी। उन्होंने एक बार केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी और बाद में उन्हें नियमित जमानत भी दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने वीपीएटी की 100% सत्यापन, चुनावी बांड योजना और धारा 370 की समाप्ति से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की थी।