जमुई: बिहार के जमुई जिले का एक बड़ा हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है। इन जंगलों के बीच कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। जमुई के जंगलों में एक गुफा है, जिसे पाताल का रास्ता कहा जाता है। कहा जाता है कि आज तक जो भी इस गुफा के अंदर गया, वह कभी वापस नहीं आ सका। इतना ही नहीं, इस गुफा की दीवारों पर ऐसी आकृतियाँ बनी हुई हैं, जिन्हें आज तक कोई समझ नहीं पाया है। लोग इसके पीछे दिव्य शक्ति को कारण मानते हैं और इसके बारे में कई कहानियां भी प्रचलित हैं। यहाँ के लोग इस गुफा से इतने डरे हुए हैं कि उन्होंने गुफा के मुंह को एक बड़े पत्थर से बंद कर दिया है।
पूरी बारात हो गई थी गायब
स्थानीय लोगों ने लोकल 18 को बताया कि जो भी इस गुफा में गया, वह कभी बाहर नहीं आया। कई साल पहले एक दुल्हन, उसका दूल्हा और लगभग 15 बाराती पालकी में जा रहे थे। शाम हो रही थी और बारिश शुरू हो गई, तो उन्होंने वहीं रुकने का फैसला किया और इस गुफा में बैठ गए। कुछ समय बाद लोगों को पता चला कि दुल्हन गायब हो गई है। जल्द ही दूल्हा भी गायब हो गया और कुछ समय बाद सभी बाराती भी रहस्यमय तरीके से गायब हो गए। अगले दिन जब गांव वालों को इस बात की जानकारी मिली और लोग वहां पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि गुफा की दीवार पर दूल्हा, दुल्हन, पालकी और बारातियों की तस्वीरें बनी हुई थीं। इसके बाद लोगों ने इसे “कोहबर” नाम दे दिया। इस गुफा को लेकर लोगों के बीच डर का माहौल देखा जा सकता है।
गुफा का इतना खौफ है कि कोई कुछ बोलने तक से कतराता है
इस गुफा के आस-पास एक आदिवासी बस्ती है, जिसमें लगभग 15 आदिवासी परिवार रहते हैं। ये परिवार इस गुफा से इतने डरे हुए हैं कि लोग इसके बारे में बात करने से भी बचते हैं। स्थिति ऐसी है कि लोग दिन के समय मवेशियों को चराते हुए गुफा के पास से गुजर जाते हैं, लेकिन शाम ढलते ही कोई भी इसके पास नहीं जाता। आदिवासी लोगों ने लोकल 18 को बताया कि गुफा के अंदर इतना अंधेरा और सुरंग इतनी गहरी थी कि उसे देखकर ही डर लगने लगता था। बाद में, स्थानीय लोगों और आदिवासी लोगों की मदद से गुफा के मुंह को पत्थरों और मिट्टी से बंद कर दिया गया। जमुई जिले की यह गुफा अपने भीतर इतने रहस्य समेटे हुए है कि इसके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे। हालांकि यह गुफा जंगल के बीच में स्थित है और इसके चारों ओर हरे-भरे जंगल और प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक है। लेकिन इस गुफा की कहानी, जो जंगलों के बीच बनी हुई है, आस-पास के गांवों में खूब सुनी और सुनाई जाती है।