नौकरी की तलाश में निकले तीन बांग्लादेशी नागरिक एक किडनी ट्रांसप्लांट ठग के जाल में ऐसे फंसे कि उन्हें पता भी नहीं चला कि उनके साथ क्या होने वाला है।
दिल्ली: करीब 20 साल पहले एक फिल्म रिलीज हुई थी, जिसका नाम था “रन”। इस फिल्म में गणेश नाम का एक आदमी नौकरी की तलाश में दिल्ली आता है और यहां उसे किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाने वालों के जाल में फंसा दिया जाता है। एक ऐसी ही साजिश का खुलासा हाल ही में पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट में हुआ है। किडनी ट्रांसप्लांट सिंडिकेट उन लोगों को अपना शिकार बनाता था जो बेहतर जीवन की तलाश में थे। उन्हें नौकरी देने का लालच देकर, यह गैंग उन लोगों को अपूरणीय निशान और एक भयानक भविष्य के साथ छोड़ देता था।
बांग्लादेशी किडनी तस्करी गैंग के 3 पीड़ित
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, तीन बांग्लादेशी नागरिकों ने भारत में सक्रिय एक किडनी तस्करी गैंग का शिकार बनने की दर्दनाक और भयावह घटना का खुलासा किया। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज बयान में एक भयानक योजना सामने आई है। उनके अनुसार, उन्हें नौकरी देने का वादा करके भारत बुलाया गया। मेडिकल टेस्ट कराने के बहाने उनकी किडनी निकाल ली गई। बेहोश और असहाय लोग करीब 48 घंटे बाद होश में आए। तब उन्हें पता चला कि उनकी किडनी निकाल ली गई है। हैरानी की बात यह है कि इस गैंग ने इन लोगों के बैंक खातों में मुआवजे के रूप में केवल 4 लाख टका जमा कर दिए और उन्हें छोड़ दिया।
नौकरी के नाम पर ऐसे छीन ली जाती है किडनी
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, 30 वर्षीय बांग्लादेशी टीआई (काल्पनिक नाम) जो किडनी तस्करों के चंगुल से बचाया गया था, ने कहा कि वह समझ नहीं पा रहा था कि इस साल ईद मनाए या नहीं। वास्तव में, उसने अपनी किडनी खो दी थी। उसकी मां, बहन और पत्नी बांग्लादेश में रहती हैं। उसके एक परिचित ने उसे भारत में नौकरी तलाशने की सलाह दी थी। लेकिन एक घटना ने उसकी पूरी जिंदगी बदल दी।
टीआई ने कहा कि उसकी कपड़ों का कारोबार एक आग में नष्ट हो गया था, जिसके बाद उसने एक एनजीओ से 8 लाख टका का कर्ज लिया था। उसने 3 लाख टका वापस चुका दिए, लेकिन बाकी कर्ज चुकाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे, जिससे वह बहुत तनाव में था। उसके एक दोस्त ने उसे भारत जाने की सलाह दी। वहां अच्छी नौकरी के अवसर हैं। उसे सिर्फ पासपोर्ट और मेडिकल वीजा की व्यवस्था करनी थी। 1 जून को भारत पहुंचने पर उसे बताया गया कि वहां कोई नौकरी नहीं है। उन्होंने उस पर पैसे के बदले अपनी किडनी दान करने का दबाव डाला, लेकिन उसने मना कर दिया। लेकिन उन्होंने उसका पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लिया और धमकी दी कि अगर उसने उनकी बात नहीं मानी, तो उसे भारत से लौटने नहीं दिया जाएगा।
मेडिकल टेस्ट के नाम पर बेहोश कर निकाली किडनी
दूसरे पीड़ित, 35 वर्षीय एसएस को एक बांग्लादेशी व्यक्ति तस्किन ने नौकरी का वादा किया था। उसे 2 फरवरी को भारत बुलाया गया। हवाई अड्डे पर पहुंचने पर, रसेल और मोहम्मद रोकन नाम के दो लोग उसे होटल रामपाल, जसोला ले गए। उसे अस्पताल में नौकरी दिलाने का वादा कर भारतीय नियमों के अनुसार मेडिकल टेस्ट कराने को कहा गया। एसएस ने बताया कि उस पर 15-20 टेस्ट किए गए, जिनमें ब्लड टेस्ट और ईसीजी शामिल थे। उसे 2 अप्रैल को एक अस्पताल ले जाया गया। 3 अप्रैल को उसे एक इंजेक्शन देकर बेहोश कर दिया गया।
होश में आने पर, 5 अप्रैल को उसके पेट पर एक निशान और टांके लगे थे। उसे बताया गया कि उसकी सर्जरी हुई है। 6 अप्रैल को रसेल और उसके साथी ने उसे जसोला के एक होटल में भेज दिया। रसेल ने उसके बैंक खाते का विवरण लिया और उसमें 4 लाख टका जमा कर दिए, लेकिन उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया। लेकिन तब तक उसका वीजा समाप्त हो चुका था। रसेल ने उसे बताया कि अब उसे नौकरी नहीं मिलेगी और वह बांग्लादेश लौट जाए।
तीसरे बांग्लादेशी की दर्दनाक कहानी
तीसरे बांग्लादेशी पीड़ित ने बताया कि उसे भी इसी तरह ठगा गया। अरन्नो नाम के एक व्यक्ति ने फेसबुक पर संपर्क कर उसे भारत में नौकरी का वादा किया था। उसे मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कहा गया। छह दिनों में उसके 49 टेस्ट ट्यूबों का खून लिया गया। एस ने बताया कि उसे कुछ ऐसा दिया गया जिससे वह कमजोर महसूस करने लगा और बेहोश हो गया। होश में आने पर उसने पाया कि उसकी किडनी गायब है। उसे बताया गया कि वह एक किडनी के साथ भी बिना किसी समस्या के जी सकता है। उसे किडनी के बदले 4.5 लाख टका दिए गए। ये तीनों अपनी दर्दनाक कहानियों के साथ बांग्लादेश लौट आए। पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है। इस मामले की सुनवाई जल्द ही शुरू होगी।