झारखंड में कांस्टेबल के पद पर भर्ती की जा रही है, जिसके लिए विभिन्न जिलों में शारीरिक परीक्षण किया जा रहा है। दौड़ के दौरान 11 उम्मीदवारों की मौत हो चुकी है, जिससे पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है। वहीं, अब भर्ती की दौड़ में शामिल युवाओं ने एक दर्दनाक कहानी बयां की है।
झारखंड पुलिस में कांस्टेबल भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षण हो रहा है, जिसके तहत विभिन्न जिलों में दौड़ का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, दौड़ के दौरान 11 उम्मीदवारों की मौत के बाद हड़कंप मच गया है। इस दौड़ में बिहार के दो भाइयों में से एक ने अपनी जान गंवा दी। बड़े भाई की मौत के बाद छोटा भाई सदमे में है और उसने पूरे मामले की दर्दनाक कहानी बताई है।
बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड के गंगरा गांव के दो भाई 27 अगस्त को झारखंड के गिरिडीह में मद्य निषेध कांस्टेबल भर्ती की दौड़ में शामिल होने गए थे। दौड़ 28 अगस्त को होनी थी। दौड़ का समय सुबह 5 बजे था। सभी उम्मीदवारों को सुबह 5 बजे से लाइन में खड़ा कर दिया गया। लेकिन दौड़ 11 बजे शुरू हुई। कड़ी धूप के कारण गंगरा गांव के गोविंद कुमार और कई अन्य उम्मीदवार दौड़ के दौरान बेहोश हो गए।
छोटे भाई ने दौड़ के दो राउंड के बाद मैदान छोड़ दिया
गर्मी के कारण छोटे भाई निर्मित ने दौड़ के दो राउंड के बाद मैदान छोड़ दिया, जबकि बड़े भाई गोविंद ने नौकरी पाने की धुन में दौड़ जारी रखी। छोटे भाई निर्मित दौड़ से बाहर आकर अपने भाई का इंतजार कर रहा था। तभी उसे सूचना मिली कि करीब दो दर्जन उम्मीदवार बेहोश होकर गिर पड़े हैं। गंभीर हालत के कारण गोविंद को प्राथमिक उपचार के लिए पहले गिरिडीह के अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिर रात आठ बजे उसे धनबाद रेफर कर दिया गया।
धनबाद में भी गोविंद की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे रांची के रिम्स ले जाने को कहा गया। लेकिन रांची के रिम्स में दो घंटे इंतजार के बाद भी गोविंद को भर्ती नहीं किया गया और गोविंद की मौत हो गई। गोविंद की मौत के बाद परिवार के लोग बिलख-बिलख कर रो रहे हैं। परिवार के इकलौते कमाऊ बेटे के चले जाने का गम न केवल उसके परिवार को बल्कि पूरे गांव को सता रहा है। गोविंद गंगरा पंचायत में सफाईकर्मी के रूप में काम कर रहा था।
परिवार ने सरकार से मुआवजे की मांग की
‘आज तक’ से बात करते हुए गोविंद के पिता बहुत भावुक हो गए। गोविंद के पिता और छोटे बेटे निर्मित का कहना है कि गोविंद की मौत सरकार की लापरवाही के कारण हुई है। इसलिए, सरकार को गोविंद की मौत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसके लिए सरकार को मुआवजा देने के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी देनी चाहिए।